Random Serious

1)

कुर्बत में बेवाफ़ाई, फुर्कत में वफ़ा ढ़ूढंता हूं

दुनिया मे कैद, खुद से रिहाई ढ़ूढंता हूं




©️ नकुल चतुर्वेदी, जुलाई 29, 2022


2)

मुज़्दा की खोज में हूं कई उम्रों से, उब मुकम्मिल ना होने के डर से डर लगना बंद हो गया (- नकुल)

ईऋते खत्र है दरिया में फना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना (- ग़ालिब)


©️ नकुल चतुर्वेदी, जुलाई 29, 2022



Comments

Popular Posts