अंतर्द्वंद

 हमेशा हमेशा की ओर कभी, कभी हर मोड़ पे वापसी कि सोच लेता हूँ।। 


लकीरें खींचता हूँ कभी, कभी मिटा देता हूँ

उधेडबुन में डुबा कभी, कभी जद्दोजहद में उलझा हूँ। 


उम्मीद के दायरे में रहता हूँ कभी, कभी नसीब से ए'जाज़ कि आस रखता हूँ

जीता हूँ आज़ादी में कभी, कभी आज़ाद होते हुए एक क़ैद सी में रहता हूँ। 


हमेशा हमेशा की ओर कभी, कभी हर मोड़ पे वापसी कि सोच लेता हूँ।। 


सच को जानता हूँ कभी, कभी भुला देता हूँ

सच को समझता हूँ कभी, कभी छुपा लेता हूँ। 


खुशी की खोज में कभी, कभी खोज में हि खुशी पा लेता हूँ

खुद से नाराज़ कभी, कभी सब से नाराज़्गी निभा लेता हूँ। 


तूने फ़रामोश सा छोडा था कभी, कभी मैं खुद को मु'आफशुदा सा पाता हूँ

तेरी याद मे जीने के सुपुर्द कभी, कभी तेरे ज़िक्र को भी काफी बेअसर सा पाता हूँ। 


हमेशा हमेशा की ओर कभी, कभी हर मोड़ पे वापसी कि सोच जाता हूँ।।



©️ Nakul Chaturvedi, 05.06.2021

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