जिंदगी पीने की आदत है!

कैफियत में क्यों करार आता है?

नासमझी पे नाज़ और,
बचपने पे प्यार आता है

शान का पता नहीं पर,
शौकत अली रह रह कर याद आता है

इत्मीनान के माईने बदल गए लगते
क्योंकि बेकरारी में हमे करार आता है

इत्मीनान के माईने बदल गए लगते भाई
क्योंकि नाफ़रमानी पे हमे लाड आता है

पापा की मार से दादा का बचाना
बिना बात के रूठना और मानना

पल में बड़े और पल ही में बचे बन जाना
चिंटू, सोनू और पारो का साथ याद आता है

एक तुम्हारे होने से बेफिक्री और,
ना होने से घबरा जाना याद आता है

बारिश में नहाना, स्कूल से भाग जाना, बगीचे से आम चुराना
और आइस क्रीम बाँट के खाना याद आता है

प्यार छुपाना, हक़ जाताना, रूठना मानना
और गुस्से से मुह फुलाना

तुमसे मुझे मुस्कुराहट का हर लम्हा याद आता है !

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