उलझनें (शायरी)

उलझनें वही देना जो उसकी ज़ुलफों की हो
हंसी वही देना जो उसके लब्बों की हो
लम्हें वही देना जिनमे मैजूद खुद वो हो
इबादत वही देना जो सदके उसके हो
उमृ नहीं देनी तो मत देना, उमृ नहीं देनी तो मत देना

ज़िन्दगी वही देना जो नाम उसके हो

©️ नकुल चतुर्वेदी, १५ मई २०१५

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