तफरी

 
दिन तो तफरी में बीत जाया करते थे
रातों में हम करवटों को मनाया करते थे

यादों के हजूम में तेरे साथ की एक याद जब आया करते थे
ग़म के आलम में भी हम मुस्कुराया करते थे 

बस तेरे हाथ पकड़ने को नदिया के पार किश्ती से पहले पहुंचा करते थे
तुझे सहारा देने के बहाने अरमानो को सहारा लगाया करते थे 


©️ नकुल चतुर्वेदी , 27 June 2021

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