प्यार में बदलदे


तू चाय पे डूबे रस्क सा समा जा मुझमें
की मेरी खुरदुराहट को मुलायम सा करदे

तू समुद्री रेत सा निकल्जे मेरे हाथों से
की मेरे वक़्त को ठहरा सा करदे

तू सिलवटें बन चादरों की मेरी
की मेरी बेखयाली को बयां सा करदे

तू मेरी प्रार्थना के शंखनाद सा गूंजा
की हर बात को खासम ख़ास करदे

तू दोस्त की शिकायत सा पैना हो जा
की मन में चुभन सी पैदा करदे

तू साफ़ कपड़ो के अम्बार सा लगजा
की अंदेखा देखा करदे

तू पहली बारिश की वो महक बनजा 
की दिल से दुखों को जुदा करदे

तुझे जो बनना है वो बनजा
की मुझे तुझसा और खुदको मुझसा करदे






©️ नकुल चतुर्वेदी, 22 June 2021

Comments

Popular Posts