हसरतें

हसरतें पूरी होती नहीं, की जाती हैं 
दिल की हिदायत उन्हें अनोखी है लेकिन I

पनपने की तय्यारी करे बिना ही पनपती हैं 
हर बार आग को हवा देने कि हिमाकत सराहनीय है लेकिन I

ज़िनदगी को डर् है की हसरतों मे ना गुज़र जाएं 
लम्हों का रंज है की आहों मे ही बसर जाएं I

मेरी हसरतों ने मुझे चलाया भी और जलाया भी 
मैने अगर सोना चाहा तो नींद से जगाया भी I

हसातों के चहरे बदलते रहे, और नाम भी 
नही बदली तो वो तपिष और उसका अनजाम भी I

मैने पूरा साथ दिया जैसे मेरे बस मे न हो कुछ और 
सिलसिले चले, मैं वही रहा, बदलते रहे दौर पे दौर I

जब दुनिया मे चित को लगाया रोश ही लौट के आया 
एक दिन चित मे ढूँढ़ली मैने दुनिया, तब किसीके लौटने का इंतेज़ार ही नही रहा 
हसरतों से जानकारी वही थी पर जैसे कोइ वासता ही नही रहा I

थमना चाहा और थामना भी 
रुकना चाहा और रोकना भी 
हसना चाहा और हसाना भी II

अधूरा कुछ ना रहा बिन पूरा हुए 
मैं मैं रहा तुमहारा होते हुए II




©️ नकुल चतुर्वेदी , मार्च 6, 2021

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